देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर में क्रॉस-बैजिंग (पार्टनरशिप के तहत हल्के-फुल्के बदलाव के साथ एक ही तरह के प्रॉडक्ट तैयार करना) की स्ट्रैटेजी अभी तक कभी सफल साबित नहीं हुई है। इसका ताजा उदाहरण टोयोटा ग्लैंजा (Glanza) और मारुति सुजुकी बलेनो हैं। टोयोटा के बैजिंग मॉडल पर बनी प्रीमियम हैचबैक जब से लॉन्च हुई है, तब से मारुति सुजुकी बेलेनो की बिक्री घटी है।
लॉन्ग टर्म में फायदा मिलने की उम्मीद
हालांकि, दोनों कंपनियों को उम्मीद है कि उन्हें लॉन्ग टर्म में इस रणनीति का फायदा मिलेगा। पार्टनरशिप के तहत अन्य प्रॉडक्ट्स और टेक्नॉलजी भी शामिल हैं। कुछ एनालिस्ट दोनों कंपनियों के विचार से सहमति रखते हैं। हालांकि, बाकियों ने मारुति सुजुकी की मौजूदा सेल्स को लेकर चिंता जताई है।
बलेनो की मंथली सेल्स घटकर 12,000 यूनिट पर आई
क्रॉस-बैज्ड वीइकल्स एक ही तकनीक पर बनी गाड़ियां होती हैं, जिनके डिजाइन में पार्टनर कंपनियां थोड़ा बहुत बदलाव करती हैं। टोयोटा और सुजुकी ने 2017 में इसके लिए पार्टनरशिप की थी। इसके तहत मारुति सुजुकी की अक्टूबर 2015 में लॉन्च हुई लोकप्रिय कार बलेनो का मॉडल टोयोटा के साथ शेयर किया गया था। जून में टोयोटा ग्लैंजा के लॉन्च होने के बाद से बलेनो की मंथली सेल्स घटकर 12,000 यूनिट पर आ गई है। यह आंकड़ा एक साल पहले 15,000-16,000 यूनिट का था।
मारुति के ग्राहकों में सेंध लगा सकती है बलेनो
बलेनो और ग्लैंजा की पार्टनरशिप की कहानी कुछ वैसी ही दिख रही है, जैसी निसान सनी-रेनॉ स्काला और फोक्सवागन वेंटो-स्कोडा रैपिड की रही है। हालांकि, मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव मार्केट की प्रतिक्रिया से बेपरवाह हैं। उन्होंने हाल ही में इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बताया था कि क्रॉस-बैजिंग को लेकर कोई चिंता नहीं है। पार्टनरशिप से उत्पादन की लागत घटती है और वॉल्यूम बढ़ाने में मदद मिलती है। भार्गव ने कहा, 'मैं अपना मार्केट घटा नहीं, बढ़ा रहा हूं।' एक विदेशी ब्रोकरेज हाउस के एनालिस्ट ने इस बारे में बताया कि ग्लैंजा मारुति सुजुकी के ग्राहकों में सेंध लगा सकती है। दोनों मॉडल अंदर और बाहर एक ही जैसे हैं। उन्होंने कहा कि पैसेंजर व्हीकल मार्केट की सुस्ती के बीच ग्लैंजा के कारण मारुति सुजुकी का मार्केट शेयर घट सकता है।
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